घर या कोई भी प्रॉपर्टी खरीदना किसी के जीवन का सबसे बड़ा और भावनात्मक फैसला होता है। यह सिर्फ एक निवेश नहीं, बल्कि आपके परिवार की सुरक्षा, भविष्य और सपनों से जुड़ा निर्णय होता है। लेकिन दुर्भाग्य से, ज़्यादातर लोग इस प्रक्रिया में कुछ ऐसी सामान्य भूलें कर बैठते हैं जो उन्हें भविष्य में भारी नुकसान और पछतावे की ओर ले जाती हैं।
इस Guide To Buy A Property का मकसद यही है कि आप उन सभी जरूरी बिंदुओं को समझें, जो 90% लोग प्रॉपर्टी खरीदते समय भूल जाते हैं। यह लेख आपको एक स्मार्ट और सतर्क खरीदार बनने में मदद करेगा — ताकि आप भावनाओं में बहकर नहीं, जानकारी और समझदारी के आधार पर सही निर्णय लें।

1. बजट की सही प्लानिंग न करना
घर खरीदने की प्रक्रिया में सबसे बड़ी गलती जो अधिकांश लोग करते हैं, वह है बजट की सही प्लानिंग न करना। अक्सर लोग सिर्फ प्रॉपर्टी की कीमत देखकर फैसला ले लेते हैं, लेकिन इससे जुड़ी दूसरी ज़रूरी चीज़ों को नजरअंदाज़ कर देते हैं।
प्रॉपर्टी खरीदते समय यह जानना जरूरी है कि आप कितने लोन के लिए योग्य हैं और हर महीने कितनी EMI भर सकते हैं। EMI आपकी इनकम, उम्र, मौजूदा लोन और क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करती है। EMI कैलकुलेटर का उपयोग कर पहले ही प्लानिंग करना बहुत जरूरी है ताकि भविष्य में आर्थिक दबाव न पड़े।
प्रॉपर्टी की बेस कीमत के अलावा कई छिपे हुए खर्च भी होते हैं, जिन्हें लोग अक्सर प्लान नहीं करते:
- स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस: ये राज्य के हिसाब से अलग-अलग होती हैं और कुल कीमत का 5–8% तक हो सकती हैं।
- संपत्ति कर (Property Tax) और सोसाइटी मेंटेनेंस चार्जेज
- इंटीरियर और शिफ्टिंग खर्च
- बीमा और कानूनी फीस (यदि वकील या एजेंट का उपयोग किया जाए)
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए बजट प्लानिंग करें, ताकि भविष्य में आपको फाइनेंशियल शॉक न लगे।

2. लोकेशन की अहमियत को नजरअंदाज़ करना
घर खरीदते समय सिर्फ कीमत और डिजाइन पर ध्यान देना काफी नहीं होता, बल्कि लोकेशन सबसे अहम फैक्टर होता है जिसे 90% लोग नजरअंदाज़ कर देते हैं। एक अच्छी लोकेशन न सिर्फ आपके रहने के अनुभव को बेहतर बनाती है, बल्कि भविष्य में प्रॉपर्टी की वैल्यू और रिटर्न भी तय करती है।
कई बार लोग सस्ती प्रॉपर्टी के चक्कर में ऐसी जगह खरीद लेते हैं जहां सुविधा और विकास की बहुत कमी होती है। थोड़ा महंगा होने के बावजूद अच्छी लोकेशन पर प्रॉपर्टी लेना भविष्य में ज़्यादा फायदेमंद होता है।
लोकेशन चुनते समय यह जरूर देखें कि उस क्षेत्र का भविष्य कैसा है:
- क्या वहां मेट्रो, हाईवे या रेलवे प्रोजेक्ट्स प्रस्तावित हैं?
- आने वाले सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर कितना विकसित होगा?
- शहर के मुख्य क्षेत्रों से कनेक्टिविटी कितनी आसान है?
ऐसी जगह चुनें जहां आने वाले समय में ग्रोथ की संभावना हो, ताकि आपकी प्रॉपर्टी की कीमत भी बढ़े। एक अच्छी लोकेशन वही मानी जाती है जहां जीवन की बुनियादी सुविधाएं पास में हों:
- अच्छे स्कूल और कॉलेज
- हॉस्पिटल और मेडिकल सुविधाएं
- किराने की दुकानें, मार्केट और ATM
- ग्रीन स्पेस, पार्क और प्ले एरिया
अगर ये सुविधाएं पास में नहीं होंगी, तो रहने में परेशानी होगी और किरायेदार भी कम मिलेंगे।

3. प्रॉपर्टी के डॉक्युमेंट्स की ठीक से जांच न करना
घर खरीदते समय सबसे बड़ी और आम गलती यह होती है कि लोग दस्तावेजों की सही जांच नहीं करते। सिर्फ देखने और सुनने से भरोसा नहीं करना चाहिए — हर जरूरी दस्तावेज को ध्यान से पढ़ना और वेरिफाई करना अनिवार्य है। यही कदम आपको भविष्य में लीगल परेशानियों से बचा सकता है।
टाइटल डीड (Title Deed): यह साबित करता है कि बेचने वाले व्यक्ति के पास उस प्रॉपर्टी की वैध मालिकियत है। बिना क्लियर टाइटल डीड के प्रॉपर्टी न खरीदें।
एप्रूवल प्लान (Approved Layout Plan): स्थानीय अथॉरिटी से मंजूर नक्शा होना चाहिए। अनअप्रूव्ड निर्माण को बाद में अवैध घोषित किया जा सकता है।
NOC (No Objection Certificates): बिजली, पानी, फायर सेफ्टी, पर्यावरण विभाग आदि से ली गई NOC प्रॉपर्टी की वैधता को साबित करती है।
अगर प्रोजेक्ट को प्रमुख बैंकों द्वारा अप्रूव किया गया है, तो इसका मतलब है कि उसके डॉक्युमेंट्स और लीगल स्टेटस पहले ही वेरिफाइड हैं। इससे:
- लोन प्रोसेस आसान होता है
- प्रोजेक्ट की वैधता पर भरोसा होता है
- फाइनेंशियल और लीगल रिस्क कम हो जाते हैं
RERA (Real Estate Regulatory Authority) में पंजीकरण यह सुनिश्चित करता है कि प्रोजेक्ट नियमानुसार चल रहा है।
- RERA नंबर से आप प्रोजेक्ट की डिटेल्स, डिले हिस्ट्री, कंप्लेंट्स आदि जान सकते हैं।
- RERA वेबसाइट पर जाकर प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी ऑनलाइन चेक की जा सकती है।
बिना दस्तावेज जांचे कोई भी प्रॉपर्टी खरीदना कानूनी और वित्तीय जोखिम उठाने जैसा है।

4. बिल्डर या सेलर की वैधता की जांच नहीं करना
कई बार लोग बिल्डर या प्रॉपर्टी बेचने वाले की पृष्ठभूमि जांचे बिना ही डील कर लेते हैं, जो बाद में भारी नुकसान और धोखाधड़ी का कारण बन सकता है। एक भरोसेमंद बिल्डर या सेलर ही आपको समय पर, लीगल और गुणवत्ता वाली प्रॉपर्टी देगा।
बिल्डर की पिछली प्रोजेक्ट्स और उनका रिकॉर्ड जरूर देखें:
- क्या उसने समय पर डिलिवरी दी है?
- क्या प्रोजेक्ट्स बिना विवाद के पूरे हुए हैं?
- क्या उसके प्रोजेक्ट्स RERA रजिस्टर्ड हैं?
- क्या उसके पुराने प्रोजेक्ट्स अब भी मेंटेन हैं या जर्जर?
जिन बिल्डर्स के पास समय पर प्रोजेक्ट पूरा करने और ग्राहकों को संतुष्ट रखने का इतिहास है, वे अधिक विश्वसनीय माने जाते हैं। आज के डिजिटल युग में आप बिल्डर या प्रोजेक्ट के बारे में गूगल, फेसबुक, प्रॉपर्टी पोर्टल्स (जैसे MagicBricks, 99acres) पर रिव्यू देख सकते हैं:
- क्या पुराने खरीदार संतुष्ट हैं?
- क्या कोई शिकायतें या केस चल रहे हैं?
- क्या उनके प्रोजेक्ट्स की क्वालिटी अच्छी रही है?
इन सब बातों से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि आपको समय पर और सही कंडीशन में प्रॉपर्टी मिलेगी या नहीं।

5. फ्लैट या प्लॉट की साइज और जरूरत की अनदेखी
घर खरीदते समय सिर्फ लोकेशन और कीमत पर फोकस करने के चक्कर में लोग सबसे ज़रूरी चीज़ — साइज और जरूरत — को नजरअंदाज़ कर देते हैं। इससे बाद में स्पेस की कमी, असुविधा और अफसोस होता है।
- 1BHK, 2BHK या 3BHK लेते समय परिवार की वर्तमान और भविष्य की ज़रूरतें ज़रूर सोचें।
- क्या बच्चों के लिए अलग कमरा चाहिए?
- क्या घर में बुज़ुर्ग या वर्क फ्रॉम होम के लिए एक्स्ट्रा रूम जरूरी है?
- क्या आपके वाहन के लिए पर्याप्त जगह है? क्या विज़िटर पार्किंग है?
- क्या बालकनी में पर्याप्त स्पेस और प्राइवेसी है?
- क्या हर रूम में पर्याप्त रोशनी और हवा आती है?
कई खरीदार Carpet Area vs Built-up Area में फर्क नहीं समझते:
Carpet Area: वो एरिया जो आप वास्तव में इस्तेमाल कर सकते हैं (दीवारों के अंदर की जगह)।
Built-up Area: इसमें दीवारों की मोटाई, बालकनी, सीढ़ी आदि भी शामिल होती हैं।
एक घर चुनें जो सिर्फ आज के लिए नहीं, भविष्य के लिए भी फिट हो।

6. लोन से जुड़े नियम और शर्तों को नजरअंदाज़ करना
घर खरीदने के लिए अधिकांश लोग होम लोन का सहारा लेते हैं, लेकिन लोन लेने से पहले उसके नियम और शर्तों को ठीक से समझना बेहद जरूरी है। कई लोग जल्दबाज़ी में दस्तावेज़ों पर साइन कर देते हैं और बाद में छिपे हुए चार्जेस या कठोर शर्तों के कारण परेशानी में फँस जाते हैं।
हर बैंक अलग-अलग ब्याज दरों और शर्तों पर लोन देता है:
- एक छोटे अंतर का भी लंबे समय में बड़ा असर पड़ता है
- कुछ बैंक सीमित समय के लिए स्पेशल ऑफर या प्रोसेसिंग फीस में छूट भी देते हैं
- ब्याज दर की तुलना हमेशा करें — और सिर्फ EMI नहीं, कुल भुगतान भी देखें
- प्रोसेसिंग फीस आमतौर पर लोन अमाउंट का 0.25%–1% तक होती है
- कई बार बैंक डॉक्युमेंटेशन चार्ज, एडमिन फीस, फोरक्लोज़र चार्ज या टेक्निकल वैल्यूएशन फीस भी वसूलते हैं
- ये चार्जेस पहले से न बताकर बाद में जोड़े जाते हैं
- हिडन चार्जेस को लेकर स्पष्ट जानकारी बैंक से लिखित में लें।
कम ब्याज दर से आपकी EMI और कुल ब्याज भुगतान दोनों कम हो सकते हैं।
Fixed Rate: आपकी ब्याज दर फिक्स रहती है और EMI बदलती नहीं — स्थिरता मिलती है
Floating Rate: ब्याज बाजार के अनुसार ऊपर-नीचे होता है — कभी फायदा, कभी नुकसान
लोन लेने से पहले हर नियम और शर्त को समझना उतना ही ज़रूरी है जितना सही प्रॉपर्टी चुनना। क्योंकि ये निर्णय आपके अगले 15–20 साल की EMI तय करेगा।

7. फ्यूचर रिसेल वैल्यू और रेंटल पोटेंशियल न सोचना
बहुत से लोग घर खरीदते समय सिर्फ वर्तमान ज़रूरतों को देखते हैं, लेकिन फ्यूचर रिसेल वैल्यू और रेंटल पोटेंशियल को नजरअंदाज़ कर देना एक बड़ी गलती हो सकती है। एक प्रॉपर्टी की असली कीमत तब समझ आती है जब वो भविष्य में अच्छा रिटर्न दे।
- क्या आपकी चुनी हुई प्रॉपर्टी की कीमत समय के साथ बढ़ेगी?
- क्या आसपास की प्रॉपर्टी की कीमतों में पिछले कुछ वर्षों में इज़ाफा हुआ है?
- किसी रियल एस्टेट एजेंट या वैल्यूएशन एक्सपर्ट से सही मूल्य का आंकलन ज़रूर करवाएं।
कम कीमत की प्रॉपर्टी खरीदना अच्छी डील तभी है, जब उसकी वैल्यू भविष्य में बढ़े।
एरिया का डेवलपमेंट प्लान
- क्या उस एरिया में नए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स (जैसे मेट्रो, हाईवे, स्कूल, अस्पताल) आ रहे हैं?
- क्या सरकार या प्राइवेट कंपनियां वहां निवेश कर रही हैं?
- ज़मीन का मास्टर प्लान देखें — क्या ज़मीन आवासीय (residential) है या व्यावसायिक (commercial)?
डेवलपमेंट प्लान जितना मजबूत होगा, प्रॉपर्टी की कीमत उतनी ही तेज़ी से बढ़ेगी।
इन्वेस्टमेंट या रहने के मकसद से खरीद
- अगर आप प्रॉपर्टी में खुद रहने वाले हैं, तो सुविधा, सुरक्षा और कनेक्टिविटी पर ज़ोर दें।
- अगर मकसद निवेश है, तो रिटर्न, रेंटल डिमांड और ग्रोथ पोटेंशियल पर ध्यान दें।
- कई बार निवेश के लिए खरीदी गई प्रॉपर्टी को बाद में सेल या किराए पर देने में परेशानी होती है — इसलिए शुरुआत से स्पष्ट सोचें।
घर सिर्फ छत नहीं, एक फाइनेंशियल एसेट भी होता है। उसे भविष्य की नज़र से देखें।

8. लीगल सलाह और प्रॉपर्टी वेरिफिकेशन न करवाना
प्रॉपर्टी खरीदने के दौरान ज़्यादातर लोग एक बड़ी गलती करते हैं — वे कानूनी सलाह और तकनीकी निरीक्षण को नजरअंदाज़ कर देते हैं। कई बार प्रॉपर्टी पर लीगल विवाद, ज़मीन का झगड़ा या स्ट्रक्चरल खामियाँ होती हैं, जिनका पता बाद में चलता है — जब बहुत देर हो चुकी होती है।
- किसी अनुभवी रियल एस्टेट वकील से सभी दस्तावेज़ों की जांच करवाएं।
- टाइटल डीड, एग्रीमेंट टू सेल, NOC, लीज डीड, एप्रूवल लेटर आदि की वैधता और मूल स्वरूप की पुष्टि कराना ज़रूरी है।
- वकील यह भी देखता है कि प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी रोक, मुकदमा या बकाया न हो।
कानूनी सलाह एक छोटा निवेश है जो आपको लाखों का नुकसान बचा सकता है।
तकनीकी निरीक्षण (Structural audit, Safety checks)
- पुरानी प्रॉपर्टी या निर्माणाधीन प्रोजेक्ट की स्ट्रक्चरल क्वालिटी जांचें।
- वॉटर लीकेज, कमजोर फाउंडेशन, बिजली व्यवस्था की खामियाँ जैसी चीज़ें बाद में बड़ी परेशानी बन सकती हैं।
- किसी अनुभवी इंजीनियर या निरीक्षक से Structural Audit करवाएं।
सिर्फ दिखावे की सुंदरता पर मत जाएं, मकान की मजबूती ज़रूरी है।
अग्नि सुरक्षा और बिल्डिंग बायलॉज
- प्रॉपर्टी में फायर सेफ्टी सिस्टम है या नहीं — यह ज़रूर देखें, खासकर फ्लैट्स और टावरों में।
- बिल्डिंग बायलॉज (Building Rules) के अनुसार निर्माण हुआ है या नहीं, ये सुनिश्चित करें।
- यदि बायलॉज का उल्लंघन हुआ है तो बाद में बिल्डिंग पर कानूनी कार्रवाई या तोड़फोड़ हो सकती है।
सुरक्षा से समझौता कभी न करें — आग लगने की स्थिति में आपकी तैयारी ही आपकी सुरक्षा है।
घर या प्रॉपर्टी खरीदना एक भावनात्मक ही नहीं, बल्कि आर्थिक, कानूनी और लाइफस्टाइल रूप से भी बड़ा फैसला होता है। अक्सर लोग जल्दबाज़ी, अधूरी जानकारी या गलत सलाह के चलते ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जो बाद में उन्हें भारी पड़ती हैं।
इस guide to buy a property में बताई गई बातें — जैसे बजट प्लानिंग, लोकेशन, डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन, बिल्डर की जांच, लोन की शर्तें आदि — हर उस बिंदु को कवर करती है जो 90% लोग नजरअंदाज़ कर देते हैं। एक स्मार्ट प्रॉपर्टी खरीदार वही होता है जो सिर्फ आज नहीं, भविष्य को ध्यान में रखकर निर्णय लेता है।